अवधेश अमन

जन्म : 28 सितम्बर , 1952

       चाक्षुष कला की धारदार आलोचनाओं के लिए विगत कुछ वर्षों में बहुचर्चित रहे हैं अवधेश अमन । इन्होंने आज की चाक्षुष कला के सत्य को उजागर किया है अपनी पुस्तक ” कला में विचार तत्व ” एवं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित अपने वैचारिक लेखों के माध्यम से । 72 वर्षीय अवधेश अमन 1972 से ही हिन्दी के लगभग सभी शीर्ष पत्रों में अपने कला विषयक लेखन के माध्यम से जाने गए हैं । इनकी कला विषयक पुस्तकें और मोनोग्राफ नई दिल्ली की ललित कला अकादमी ने प्रकाशित किया है । दो चर्चित पुस्तकें ” कला में विचार तत्व ” और ” कम्पनी काल में पटना शैली की चित्रकला ” भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग ने प्रकाशित की है । ‘ दस कलाकार ‘ शिल्प कला परिषद , पटना ने प्रकाशित किया है । ललित कला अकादमी , नई दिल्ली की पत्रिका ” समकालीन कला ” में इनके अनेक महत्वपूर्ण लेख प्रकाशित हुए हैं । साथ ही इस पत्रिका के एक अंक-14 के अतिथि सम्पादक भी ये रहे हैं । चर्चित कला पत्रिका कला दीर्घा , कला समय , कला वीथिका , संस्कृति आदि में प्रकाशित इनके लेखों की एक शोधपरक श्रृंखला है । 

      चित्रकार अवधेश अमन कैनवास पर तैल रंगों के अपने प्रभावशाली चित्रांकन के लिए आठवें नौवें दशक में बहुत जाने गए हैं , इसलिए कि इनकी कृतियों में भारतीय समाज की और देश-काल की चिंताएँ प्रमुख रही हैं । 

      बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न अवधेश अमन सुविज्ञ कवि और कथाकार भी हैं । 1969 से ही हिन्दी में कविताएँ , कहानियाँ , समीक्षा एवं अन्य लेख भी लिखते रहे हैं । एक सहित्यधर्मी पत्रिका का 12 वर्षों तक सम्पादन भी किया है । इनके साहित्य से जुड़ी कई पुस्तकें प्रकाशित हैं । कुछ पुस्तकों का सम्पादन भी इन्होंने किया है । ललित कला अकादमी , नई दिल्ली सहित कई वर्षों तक कुछ संस्थाओं का कुशलता से इन्होंने प्रतिनिधित्व भी किया है । तीन वर्षों तक बिहार ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं । पटना दूरदर्शन से प्रसारित होने वाला इनका एक कार्यक्रम ” कला चक्र ” बहुत लोकप्रिय हुआ है । आकाशवाणी के दिल्ली , पटना सहित कुछ केंद्रों से भी इनके अनेक लोकप्रिय प्रसारण हुए हैं । इन सब के साथ ही कुछ सांस्कृतिक , साहित्यिक क्रियाकलापों में इनकी क्रियाशीलता जारी है । 28 वर्षों तक केन्द्रीय विद्यालय की सेवा में कला-शिक्षा शिक्षक के पद पर कार्यरत रहते हुए इन्होंने कला-शिक्षा के संदर्भ में निरंतर अध्यापन और रचनात्मक कार्य किया है । अवधेश अमन को कला-समालोचना के क्षेत्र के और साहित्य के क्षेत्र के कुछ उल्लेखनीय पुरस्कार भी प्राप्त हैं ।

Born: September 28,

       Awadhesh Aman has been much talked about in the last few years for his sharp criticisms of visual art. He has exposed the truth of today’s visual art through his book “कला में विचार तत्व” and his ideological articles published in many newspapers and magazines. 72-year-old Awadhesh Aman has been known through his art-related writings in almost all the top Hindi newspapers since 1972. His art related books and monographs have been published by Lalit Kala Akademi, New Delhi. Two popular books “कला में विचार तत्व” and “कम्पनी काल में पटना शैली की चित्रकला” have been published by the Publications Division of the Ministry of Information and Broadcasting, Government of India. ‘Ten Artists’ has been published by Shilpa Kala Parishad, Patna. Many of his important articles have been published in the magazine “Samkaleen Kala” of Lalit Kala Academy, New Delhi. He has also been the guest editor of issue 14 of this magazine. There is a research series of his articles published in the famous art magazines Kala Deergha, Kala Samay, Kala Veethika, Sanskriti etc.

      Painter Awadhesh Aman has become very famous for his impressive paintings in oil colors on canvas in the eighties and nineties, because the concerns of the Indian society and the time period have been prominent in his works.

      Multi-talented Awadhesh Aman is also an accomplished poet and storyteller. He has been writing poems, stories, reviews and other articles in Hindi since 1969. He has also edited सहित्यधर्मी पत्रिका for 12 years. Many books related to his literature have been published. He has also edited some books. He has also efficiently represented some institutions including Lalit Kala Akademi, New Delhi for many years. He has also been the Vice President of Bihar Lalit Kala Academy for three years. One of his programs “Kala Chakra” broadcast on Patna Doordarshan has become very popular. There have been many popular broadcasts of All India Radio from some centers including Delhi and Patna. Along with all this, they continue to be active in some cultural and literary activities. While working as an art education teacher in the service of Kendriya Vidyalaya for 28 years, he has continuously done teaching and creative work in the context of art education. Awadhesh Aman has also received some notable awards in the field of art criticism and literature.